दूसरे लोग जिसके कार्य, व्यवहार, गोपनीयता, सलाह और विचार को कार्य पूरा हो जाने के बाद ही जान पाते हैं, वही व्यक्ति विद्वान् कहलाता है ।
यस्य कृत्यं न जानन्ति मन्त्रं वा मन्त्रितं परे । कृतमेवास्य जानन्ति स वै पण्डित उच्यते ॥
दूसरे लोग जिसके कार्य, व्यवहार, गोपनीयता, सलाह और विचार को कार्य पूरा हो जाने के बाद ही जान पाते हैं, वही व्यक्ति विद्वान् कहलाता है ।
यस्य कृत्यं न जानन्ति मन्त्रं वा मन्त्रितं परे । कृतमेवास्य जानन्ति स वै पण्डित उच्यते ॥